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राजनीति क्या है (what is politics)

राजनीति क्या है (what is politics):-

राजनीति सिद्धांत का विवेच्या विषय राजनीति है अतः शुरू-शुरू में या जान लेना जरूरी हो जाता है की राजनीति क्या है इस प्रश्न का उत्तर देना सरल नहीं है राजनीति के बारे में आम आदमी की धारणा से इसके तकनीकी अर्थ का पता लगाने में विशेष सहायता नहीं मिलती फिर राजनीति की चिरसम्मत धारणा से भी इसकी आधुनिक धारणा का पूरा विवरण प्राप्त नहीं होता परंतु राजनीति की आधुनिक धारणा को समझने के लिए इसके बारे में आम आदमी की धारणा और चिरसम्मत धारणा का परिचय प्राप्त कर लेना लाभदायक होगा।

राजनीति के बारे में आम लोगों की धारणाएं:

राजनीति शब्द का प्रयोग हम अपनी दैनिक बातचीत में भी करते हैं और वैज्ञानिक अध्ययन में भी करते हैं क्या इन दोनों संदर्भ में हमारा तात्पर्य एक जैसा होता है शायद नहीं परंतु राजनीति के वैज्ञानिक रूप तक पहुंचाने के लिए शुरू-शुरू में इस बात पर विचार कर लेना अत्यंत रोचक होगा कि आम आदमी राजनीति की कल्पना किस रूप में करता है एलेन बल ने मॉडर्न पॉलिटिक्स और गवर्नमेंट के अंतर्गत यह संकेत दिया है की राजनीतिक गतिविधियों की आम धारणा को अपना लेने पर दो प्रकार की समस्याएं पैदा हो जाती हैं|

पहले अक्सर या मान लिया जाता है की राजनीति एक सरोकार केवल सार्वजनिक क्षेत्र से है अर्थात सांसदों चुनाव और मंत्रीमंडलों से मानवीय गतिविधि के अन्य क्षेत्रों से इसे कुछ लेना-देना नहीं है दूसरे इसमें यह खतरा रहता है कि राजनीति को निर्मित दलगत राजनीति के साथ मिला दिया जाता है जैसे इसका सरकार कोई राजनीतिक मत रखना से हो या कम से कम इसमें सत्ता लोलुप राजनीतिज्ञ की साजिशो चालबजिया के प्रति घृणा की भावना निहित रहती है।

मतलब यह की आम आदमी राजनीति का अर्थ लगाते समय एक छोटे से दायरे के बारे में सोचता है वह इसे या तो केवल मंत्रियों और विधायकों की गतिविधि समझ लेता है या इसे राजनीतिक की चालबाजजियो और चुनाव के पैतरो के साथ जोड़ने लगता है। वह या अनुभव नहीं करता की राजनीति एक व्यापक सामाजिक प्रक्रिया है जो सामाजिक जीवन के अनेक स्तरों पर चलती रहती है बहुत से बहुत वह यह मान लेता है की राजनीति में सार्वजनिक सभाए जलसे जुलूस नारेबाजी प्रदर्शन मांगे हड़ताल है|

आंसू गैस और लाठी चार्ज जैसी गतिविधियां आ जाती हैं या फिर उसका ध्यान चुनाव चुनाव प्रचार अभियानों या रेलिया के उसे पक्ष की ओर चला जाता है जिसमें झूठे वादे किए जाते हैं और उनकी पूर्ति के झूठे समाचार फैलाए जाते हैं इन्हीं गोल-मल धारों के परिणाम स्वरुप राजनीति को कभी-कभी धुर्तो का अंतिम आश्रय का कहकर  इसकी निंदा की जाती है। हार्नेस्ड बैंक ने राजनीति के स्वरूप पर व्यंग्य करते हुए इसे ऐसी कला की संज्ञा दी है जिसमें पहले तो मुसीबत को ढूंढते हैं फिर वह जहां हो या ना हो वहां से उसे पकड़ लाते हैं उसका गलत निदान किया जाता है और फिर उसका गलत उपचार किया जाता है|

इस अनोखी धारणाओं के आधार पर राजनीति को कभी-कभी घिनौना खेल कहा जाता है छात्रों को राजनीति से दूर रहने की सलाह दी जाती है और न्यायाधीशों तथा अन्य बुद्ध जीवन से यह आशा की जाती है कि वह अपने आप को राजनीति से ऊपर रखेंगे।

परंतु यदि हम राजनीति से घृणा करते हुए उससे दूर भागेंगे तो यह डर है की राजनीति सचमुच गलत लोगों के हाथों में चली जाएगी और सार्वजनिक समस्याओं का समाधान नहीं हो सकेगा देखा जाए तो प्राचीन यूनानी नगर राज्यों में राजनीतिज्ञों की आपत्तिजनक गतिविधियों को देखकर ही सुकरात और प्लाटों ने इतनी गहरी चिंता व्यक्त की थी और अपना जीवन राजनीति के ऐसे रूप की तलाश में लगा दिया था जो समाज को कल्याण की ओर ले जा सके यह तलाश आज भी जारी है इसके लिए राजनीति के सही रूप की जानकारी जरूरी है।
(जब कोई मनुष्य राजनीति में भाग लेने से इनकार कर देता है तो उसे यह दंड मिलता है कि उसे हैं मनुष्य उसे पर शासन करने लगते हैं।)

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