\ सर्वोच्च न्यायलय By Mahendra Sir - Deeptiman Academy

सर्वोच्च न्यायलय By Mahendra Sir

           सर्वोच्च न्यायलय

Hello Dear students welcome to all of you, आज की इस post में  सर्वोच्च न्यायालय third part को पढेंगे जो की सभी competettive exams के लिए अति महत्वपूर्ण है |

  • भारतीय संविधान के तहत एकीकृत न्याय व्यवस्था की स्थापना की गई है, जिसमें शिर्घ पर सर्वोच्च न्यायालय व उसके अधीन उच्च न्यायलय तथा अधीनस्थ न्यायालयों की श्रेणियों हैं।
  • न्यायपालिका की यह एकल प्रणाली, भारत सरकार अधिनियम १९३५ से ली गई है।
  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना २६ जनवरी १९५० को हुई थी, जबकि उद्घाटन २८ जनवरी, १९५० को किया गया था।
  • भारतीय संविधान के भाग ५ के अंतर्गत अध्याय ४ में सर्वोच्च न्यायालय से संबंधित प्रावधान अनुच्छेद १२४ से १४७ तक में उल्लिखित हैं।
  • सर्वोच्च न्यायलय में मुख्य न्यायाधीश सहित न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या वर्तमान में ३४ है।
  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करते है।
  • मुख्य न्यायाधीश की नियक्ति राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के एवं उच्च न्यायालयों के ऐसे न्यायाधीशों से परामर्श करने, जिन्हें राष्ट्रपति इस प्रयोजन हेतु आवश्यक समझे, के बाद करता है।
  • इसी तरह सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति भी होती है।
  • अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश का परामर्श आवश्यक है। यहां मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से तात्पर्य वस्तुतः मुख्य न्यायाधीश के साथ सर्वोच्च न्यायालय के ४ अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीशों के कॉलेजियम के परामर्श से है।
  • सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए किसी व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए।
  • उसे किसी उच्च न्यायालय का या ऐसे दो या अधिक न्यायालयों का लगातार कम-से-कम पांच वर्ष के लिए न्यायाधीश होना चाहिए, या उसे किसी उच्च न्यायालय या ऐसे दो या अधिक न्यायालयों में मिलाकर कम-से-कम १० वर्ष तक अधिवक्ता होना चाहिए या राष्ट्रपति के विचार में वह पारंगत विधिवेत्ता हो।
  • सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश होने के लिए संविधान में न्यूनतम आयु का उल्लेख नहीं है।
  • सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि संसद कर सकती है।
  • सर्वोच्च न्यायालय में न्याधीशों को राष्ट्रपति शपथ दिलाते है।
  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश राष्ट्रपति को संबोधित कर अपना पद त्याग सकते है।
  • अनुच्छेद १२४(४) के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश को उसके पद से तब तक नही हटाया जाएगा जब तक सिद्ध कदाचार या असमर्थता के आधार पर ऐसे हटाए जाने के लिए संसद के प्रत्येक सदन द्वारा अपनी कुल सदस्य संख्या के बहुमत तथा उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के कम-से-कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा समर्थित समावेदन, राष्ट्रपति के समक्ष उसी सत्र में रखे जाने पर राष्ट्रपति ने आदेश दिया है।
  • न्यायाधीश (जांच) अधिनियम,१६६९ में कुल ७ धाराएं है, जिसमें उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को पद से हटाए जाने हेतु समावेदन और उन पर लगाए गए कदाचार या असमर्थता की अभियोग की जांच एवं उसे सिद्ध करने की प्रक्रिया का विनियमन किया गया है।
  • उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की सेवानिवृत्त की आयु ६५ वर्ष है।
  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश का वेतन संसद द्वारा निर्धारित होता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश सेवानिवृत्ति के बाद भारत के किसी भी न्यायालय में वकालत नहीं कर सकते है।
  • अनुच्छेद १२७ के तहत सर्वोच्च न्यायालय के किसी सत्र के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है।
  • अनुच्छेद १४५(३) के तहत सर्वोच्च न्यायालय में संविधान के निर्वाचन से संबंधित मामले (या राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद १४३ के तहत सर्वोच्च न्यायालय सेा मांगे गए परामर्श) की सुनवाई के लिए न्यायाधीशों की संख्या कम-से-कम पांच होनी चाहिए। इसे संविधान पीठ के रूप में अभिहित किया जाता है।
  • संविधान के अनुच्छेद १२९ के अनुसार, उच्चतम न्यायालय अभिलेख न्यायलय है तथा उसे अपने अवमान के लिए दंड देने की शक्ति है।
  • अभिलेख न्यायालय का अर्थ है कि इसके सभी निर्णयों का साक्ष्यात्मक मूल्य होता है।
  • अनुच्छेद १३१के तहत केंद्र और राज्यों के बीच, दो या अधिक राज्यों के बीच तथा भारत सरकार और किसी राज्य या राज्यों और दूसर ओर एक या अधिक अन्य राज्यों के बीच होने वाले विवादों का निर्णय करने की सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति मूल (आरंभिक) अधिकारिता के अंतर्गत आती है।
  • अनुच्छेद १३२-१३६ तक सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय क्षेत्राधिकार का उल्लेख किया गया है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद १३६ के अंतर्गत अपील के लिए उच्चतम न्यायालय की विशेष इजाजत का प्रावधान है।
  • अनुच्छेद १३७ के अंतर्गत अपने निर्णयों या आदेशों का उच्चतम न्यायलय द्वारा पुनर्विलोकन (Review) किया जाता है।
  • संविधान की व्याख्या करने का अंतिम अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को है।
  • इस शक्ति के तहत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केंद्र व राज्य दोनों स्तरों पर विधायी व कार्यकारी आदेशों की सांविधानिकता की जांच की जाती है।
  • अधिकारातीत पाए जाने की स्थिति में इन्हें अविधिक असंवैधानिक और अवैध घोषित किया जा सकता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय को भारतीय संविधान का संरक्षक तथा अभिभावक कहा जाता है।
  • अनुच्छेद १३८ के तहत सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने का अधिकार संसद को है।
  • अनुच्छेद १३९-क (२) के तहत देश के किसी उच्च न्यायालय में चल रहे मामले या वाद (case) को किसी अन्य उच्च न्यायालय में भेजने का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को है।
  • भारतीय संविधान के मौलिक ढ़ांचे या आधारिक संरचना (Basic Structure) के सिद्धांत का स्रोत न्यायिक व्याख्या है।
  • केशवानंद भारतीय (१९७३) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के मौलिक ढांचे का सिद्धांत प्रतिपादित किया। इसके तहत संविधान के किसी भी संशोधन की उच्चम न्यायालय द्वारा समीक्षा की जा सकती है, यदि वह संशोधन संविधान के मौलिक (आधारभूत) ढांचे का उल्लंघन करता है।
  • संविधान के अनुच्छेद १४१ के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित विधि भारत के सभी न्यायालयों पर आबद्धकर होती है। अनुच्छेद १४२ में उच्चतम न्यायालय की डिक्रियों और आदेशों के प्रवर्तन और प्रकटीकरण आदि के बारे में आदेश संबंधी प्रावधान है।
  • अनुच्छेद १४३ के अंतर्गत राष्ट्रपति विधिु या तथ्य के व्यापक महत्व के प्रशन सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श ले सकते है।

 

 

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