\ निर्वाचन आयोग - Deeptiman Academy

निर्वाचन आयोग

                              

                                भाग-15 अनु. 324-329

   गठन

  • अनु.324 में कहा गया है कि चुनावों के नियंत्रण निर्देशन और संचालन के लिए एक सदस्यी यी बहुसदस्यीय निर्वाचन आयोग होगा पहले निर्वाचन आयोग एक सदस्यीय हुआ करता था। 1989ई. में इसे दो सदस्यी बना दिया गया। 1993ई. में यह तीन सदस्यीय हो गया इसमें एक मुख्य निर्वाचन आयोग, दो अन्य आयुक्त होते है।
  • निर्वाचन आयोग का गठन 25 जनवरी 1950 को हुआ था इसी उपलक्ष्य में प्रत्येक 25 जनवरी को मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

    

 नियुक्ति-अनु. 324

  • तीनों आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।

 

 पदावधि

  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त की पदावधि 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होगी। अन्य आयुक्तों की पदावधि 6 वर्ष या 62 वर्ष की आयु तक होगा।

 

  हटाया जाना-324

  • मुख्य चुनाव आयुक्त को उसी रीति-रिवाज से हटाया जाता है जिस नीति से सर्वोच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश को हटाया जाता है अर्थात. साबित कदाचार एवं असमर्थता की स्थिति में संसनी महाभियोग पर राष्ट्रपति को हटाया जाता है।
  • अन्य आयुक्तों को मुख्य निर्वाचक आयुक्त की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा हटाया जाता है।

  वेतन

  • वेतन संचित निधि पर भारित व्यय होगा मुख्य निर्वाचन आयुक्त सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के बराबर वेतन पायेगा।

  रिटायर होने के बाद

  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त रिटायर होने के बाद लाभ पत्र पद धारण नहीं करेगा। अन्य आयुक्त मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनाये जा सकते है।

 निर्वाचन आयोग के कार्य

 

  1. निर्वाचन आयोग जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अंतर्गत MP,M.L.A और M.L.C. का चुनाव करवाता है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति निर्वाचन अधिनियम 1952 के अन्तर्गत राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करवाता है।
  2. चुनाव की अधिसूचना तो राष्ट्रपति जारी करता है लेकिन चुनाव तिथियों की घोषणा निर्वाचन आयोग करता है।
  3. निर्वाचन आयोग निर्वाचन मतदाता सूची तैयार करवाता है। अनु.326 में कहा गया है, जाति,धर्म, लिंग, जन्म स्थान इत्यादि के आधार पर किसी का नाम मतदाता सूची में दर्ज कराने से नहीं रोका जा सकता।
  4. अनु.326 में कहा गया है 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके सभी नागरिकों को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार प्राप्त होगा। यह एक संवैधानिक और राजनीतिक अधिकार होगा।
  5. चुनावों के सफलतापूर्वक संचालन के लिए चुनाव आयोग केंद्र सरकार और राज्य सरकार के संसाधनों का प्रयोग कर सकता है।
  6. निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराने के लिए आयोग चुनाव आचार-संहिता को लागू करता है।
  7. चुनाव में किसी गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर चुनाव आयोग चुनाव को रद्द करके पुर्ननिर्वाचन की घोषणा कर सकता है लेकिन परिणाम घोषित होने के बाद चुनाव आयोग को रद्द नहीं कर सकता इस स्थिति में हाईकोर्ट ही चुनाव को रद्द कर सकता है।

 

 परिसीमन आयोग

  • प्रत्येक जनगणना के बाद परिसीमन आयोग के गठन का प्रावधान है यही परिसीमन आयोग चुनाव क्षेत्रों का निर्धारण या परिसीमन करता है परिसीमन आयोग द्वारा किए गए परिसीमन को न्यायालय में चुनौती भी नहीं दी जा सकती।
  • वर्तमान चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन 2001 की जनगणना के आधार पर किया गया है इसके लिए 2002 में परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। यहां यह स्मरण रहे कि पहली बार 1952 में चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन चुनाव आयोग ने किया था।

चुनावी विवाद अनु. 329

  • राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावी विवादों का निपटारा सु्प्रीम कोर्ट करता है।
  • P, M.L.A, और M.L.C के चुनावी विवादों का निपटारा हाईकोर्ट करता है।

 

 चुनाव सुधार

  • चुनाव लोकतंत्र की प्राणवायु है स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव पर ही लोकतंत्र की सफलता निर्भर करता है लेकिन हमेशा से चुनावों में धन-बल और बाहुबल का प्रयोग होता रहा है अतः हमेशा से चुनाव सुधारों की आवश्यकता बनी रही है। इसी क्रम में कुछ प्रयास भी किये गये है-

 तारकुंडे समिति

  • तारकुंडे समिति की सिफारिश पर ही 61वें संशोधन के द्वारा माताधिकार की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी गयी।
  • शकधर समिति की सिफारिश पर मतदाता पहचान पत्र जारी किया गया।
  • दिनेश गोस्वामी समिति की सिफारिश पर चुनावों मे Electronic voting Machine .या V.M का प्रयोग किया जाने लगा। पहली बार इसका प्रयोग केरल में हुआ था। 2004 के आम चुनावों से इसका देशव्यापी प्रयोग शुरू हुआ।
  • जब से सूचना के अधिकार को मूल अधिकार घोषित किया गया है तब से उम्मीदवारों को नामांकन फॉर्म भरते समय अपनी और अपने परिजनों की सम्पत्ति का व्यौरा देना होता है अपनी शैक्षिक और आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में बताना होता है।
  • यदि किसी व्यक्ति को दो वर्ष से अधिक समय के लिए सजा हो जाती है तो वह चुनाव नहीं लड़ सकता यदि वह MP ,M L A है तो उसकी सदस्यता भी समाप्त हो जायेगी।
  • चुनाव सुधारों के अंतर्गत Right to Reject के अधिकार का अधिकार भी लागू किया गया। V.M, में एक बटन None of the Above की भी होती है जिसे NOTE. कहते है। यदि मतदाता को कोई उम्मीदवार पसंद नहीं है तो वह (NOTE) की बटन दबा सकता है।
  • कुछ लोगों ने सुझाव दिया है कि मतदाता के पास Right to Recall होना चाहिए। अर्थात् यदि जनप्रतिनिधि अवांक्षित हो गया है तो मतदाता के पास Right to Recall होना चाहिेए अर्थात् उसे वापस बुलाने का अधिकार होना चाहिए।
  • कुछ लोगों का सुझाव यह भी है कि मतदान को अनिवार्य बना दिया जाए। ऑस्ट्रेलिया इक्वाडोर, ब्राजील जैसे 22 देशों में मतदान को अनिवार्य बना दिया गया है। लेकिन मतदान को अनिवार्य बनाना गैर प्रजातांत्रिक है क्योंकि इससे वोटों की खरीद बिक्री होने लगेगी।

 

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