नौकरशाही का विकास
नौकरशाही का शाब्दिक अर्थ अधिकारियों का शासन है नौकरशाही एक ऐसी व्यवस्था में है जिसमें प्रशासन द्वारा विभिन्न क्षेत्रों की सरकारी कार्यों एवं निर्देशों के लिए ऐसे भी व्यक्तियों का चुनाव किया जाता है। जो इसके काबिल हो इन कर्मचारियों का चुनाव उनकी योग्यता के अनुसार होता है और इन्हें विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाता है इस व्यवस्था में कार्य सोपान विधि द्वारा होता है यह कर्मचारी प्रशासन द्वारा नियुक्त होते हैं इनका कार्य जनता व प्रशासन के हित में कार्य करना होता है लेकिन यह व्यवस्था एक प्रशासकीय मशीन की तरह कार्य करती है यह जनता से अधिक अपने अधिकारयों के सत्ताधारियों के प्रति अधिक उत्तरदाई होती है।
नौकरशाही को नौकरों को नौकरों द्वारा नौकरों के लिए सरकार जैसे परिभाषा से परिभाषित किया है जो इस व्यवस्था के प्रति क्रेडिट विचारधारापन हो जाती है नौकरशाही की कुछ प्रमुख विद्वानों ने निम्नलिखित परिभाषाएं प्रस्तुत की है।
बर्नार्ड शाह के अनुसार: सत्ता के उपासक उच्च पदाधिकारी की समानतशाही का दूसरा नाम नौकरशाही है
मैक्स वेबर के अनुसार: भैया एक प्रकार का प्रशासकीय संगठन है जिसमें विशेष योग्यता निष्पक्षता तथा मनुष्यता का अभाव आदि लक्षण पाए जाते हैं इस प्रकार नौकरशाही एक ऐसी संरचनात्मक व्यवस्था है जिसमें कर्मचारियों को पूर्ण नियंत्रण अपनी उच्च अधिकारियों के हाथों में होता है यह कर्मचारी अपने अधिकारी के प्रति कर्तव्य निश्चित करता ईमानदारी तथा कार्य कुशलता पर आधारित होता है
नौकरशाही की विशेषताएं:
नौकरशाही एक प्रकार की प्रशासनिक व्यवस्था है इसकी निम्नलिखित विशेषताएं हैं –
1-कर्मचारियों की प्रमुख कर्तव्य:
नौकरशाही में विभिन्न क्षेत्रों के कार्यों के लिए अलग-अलग कर्मचारी नियुक्त किए जाते हैं । उनकी विशिष्ट कार्य होते हैं जिन्हें पूरा करना इनका प्रमुख कर्तव्य होता है। यह अपने-अपने कार्य क्षेत्र के अंदर ही कार्य करते हैं । यह अपने कर्तव्यों को पूरा करने में एक दूसरे को सहयोग करते हैं।
2-पदसोपान पद्धति:
नौकरशाही व्यवस्था को निर्माण विभिन्न क्षेत्रों के अधिकारियों द्वारा निर्धारित होता है इनकी भी नियुक्ति की जाती है यह नियुक्ति पद सोपान पद्धति द्वारा की जाती है कुछ निम्न अधिकारी पद होते हैं तथा कुछ उच्च होते हैं उनके कुछ पद के कुछ कर्तव्य होते हैं जिनका उनका पालन करना पड़ता है वह उनके कुछ नियम कानून होते हैं जिसके द्वारा यह अपने कर्तव्य के प्रति बोध होता है।
3-कर्तव्य निष्ठ व्यवस्था:
नौकरशाही व्यवस्था में कर्तव्य निष्ठ का पालन करना सदस्यों के लिए आवश्यक है कर्तव्य पालन के लिए सट्टा का विभाजन किया जाता है इन कर्तव्यों का पूर्ण करने की भी व्यवस्था बनाई जाती है।
4- कार्यों को गुप्त रखना:
नौकरशाही पद्धति में कार्य की गोपनीयता का ध्यान रखा जाता है सरकारी कार्यों को कर्मचारी गुप्त रखने का प्रयास करता है।
5-दस्तावेजों को सुरक्षित व व्यवस्थित रखना:
नौकरशाही विशेषताओं में दस्तावेजों व अभिलेखों को सुरक्षित रखना एक प्रमुख विशेषता है। इसमें अभिलेखों का विशेष महत्व है सभी कागजात वह लिखा पेरिस संबंधी कार्यों यहां होते हैं इन्हें लिपिबद्ध करके कागजों को सुरक्षित रखा जाता है जिनको सुरक्षित रखना आवश्यक है जनता की सेवा को भूलकर हुए सिर्फ फाइलों का ध्यान रखते हैं जनता को सिर्फ ऑफिस के चक्कर लगवाते रहते हैं और जनता को परेशान करते है।
6-मेधावी एवं कार्य कुशल:
नौकरशाही व्यवस्था में ऐसे व्यक्तियों का चुनाव किया जाता है जो कार्य को व्यवस्थित तरीके से करें एक नौकरशाह को मेधावी होने के साथ-साथ कुशल भी होना चाहिए इनका चुनाव विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से होता है जहां उनकी बुद्धि व कार्य कुशलता का भी परीक्षण होता है
उपरोक्त विशेषताओं के साथ-साथ यह प्रशिक्षित कर्मचारी होते हैं साथ ही साथ कागजी कार्यवाही का भी विशेष महत्व होता है यह एक विशिष्ट पढ़ती है।
नौकरशाही के विभिन्न प्रकार:
नौकरशाही के प्रमुख चार प्रकारों मैं विभाजित किया गया जो निम्न प्रकार से है
1-जातिगत नौकरशाही:
नौकरशाही का यह प्रकार जाति के अंतर्गत होता है ।इससे पद्धति कार्यों का चुनाव जाति के आधार पर किया जाता है। प्राय ऐसी व्यवस्था में उच्च पदों पर किसी उच्च जाति के पदाधिकारी का नियंत्रण रखता है। मार्क्स ने इस व्यवस्था के बारे में लिखा है कि उच्च पदों के लिए ऐसी योग्यताएं दी जाती है। कि उसमें एक विशेष वर्ग को ही प्राथमिकता मिलती है।
2- अभिभावक नौकरशाही:
अभिभावक नौकरशाही में सिर्फ कुछ विद्वानों का पूर्ण रूप से नियंत्रित होता है क्योंकि इस पदों के लिए कुछ ऐसे नियम होते हैं जिसे सभी योग्यता की आवश्यकता होती है यह नौकरशाही शास्त्रों का आचरण में दीक्षित होते हैं इस पद्धति के अंतर्गत एक और न्याय पूर्णता शुद्धता दक्षता कार्य कुशलता होती है तो दूसरी तरफ अनुतरदायी और अधिकार पूर्ण है।
3- संरक्षक नौकरशाही। :
संरक्षक नौकरशाही पद्धति का दूसरा नाम ल पढ़ती भी है भैया एक ऐसी पद्धति है जिसका कोई ना कोई संरक्षक होता है और यह दूसरों के अनुग्रह या पुस्तकार रूप में प्राप्त होती है इस पद्धति का 17वीं शताब्दी में यूनाइटेड किंगडम में प्रसारित थी।
4-योग्यता नौकरशाही। :
योग्यता नौकरशाही व्यवस्था में कर्मचारियों वह पदाधिकारी का चुनाव उनकी योग्यता के आधार पर होता है उनकी योग्यता को विशिष्ट परीक्षण द्वारा पर रखा जाता है जिससे लिखित मौखिक तथा उपाधि संबंध परीक्षण हो सकते हैं किस समय सरकारी नौकरी में नियुक्ति वर्ग भेद संबंधित विचारों पर आधारित है अधिकतर देशों में इस प्रकार की पद्धति का प्रचलन है।
नौकरशाही का राजनीतिक विकास में महत्व ( भारत के विशेष संदर्भ में)
नौकरशाही और विशिष्ट वर्ग में गहरा संबंध है विशिष्ट वर्ग से आशय प्रशासन के उच्च अधिकारियों से है आजादी पहले और के उच्च अधिकारियों का अस्तर अलग-अलग था वर्तमान भारत में प्रशासनिक अधिकारियों को उच्च स्तर के नौकरशाह के रूप में स्थान प्राप्त है ।भारतीय नौकरशाही प्रशासन का महत्वपूर्ण तत्व माना जाता है । सरकार को चलाने तथा प्रशासनिक स्तर में परिवर्तन लाने व अच्छा बनाने के लिए नौकरशाही प्रशासन का होना आवश्यक है।
भारतीय नौकरशाही से तात्पर्य भारतीय लोक सेवा आयोग से है जैसा कि भारतीय संविधान में भी यह प्रतिवेदन का कहा कि प्रशासन की सरकार है भारतीय प्रशासन तंत्र को प्रमुख तैयार तीन स्तरों में बांटा गया है प्रशासन तंत्र राजीव और स्थानीय स्तर है इन तीनों में प्रशासनिक स्तर पर संगठन पाया जाता है सरकार कार्य कुशलता तथा नीतियों की प्रक्रिया अनुमान के लिए नौकरशाही की सलाह की सहायता लेता है आजकल यह नौकरशाही सरकारों की आवश्यकता बन गए हैं इसी संदर्भ में हर बात मॉरिसन ने कहा है कि नौकरशाही संसदीय प्रजातंत्र का मूल्य है आधुनिक भारत में नौकरशाही के राजनीतिक महत्व को वह योग्यता को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है।
1- संवैधानिक विकास में महत्व: भारत एक लोकतांत्रिक देश है जिसमें की नौकरशाही व्यवस्था का संविधानिक शासन के विकास तथा कार्य संचालन में विशेष योगदान होता है समय-समय पर परिस्थितियों को देखते हुए संविधान के संशोधन की आवश्यकता होती है सरकार मदद करते हैं तथा संविधान संशोधन के पश्चात शासन व्यवस्था का संचालन भी करते हैं ।
2-राजनीति के आधुनिकीकरण में सहायक:
परिवर्तन प्रकृति का नियम है आधुनिकीकरण परिवर्तन की प्रक्रिया तथा राजनीतिक आधुनिकीकरण भी राजनीतिक विकास के लिए आवश्यक है नौकरशाह अपनी कार्य कुशलता और बौद्धिक क्षमता के बल पर नई-नई राजनीतिक योग्यताओं के साथ-साथ राजनीतिक विकास में आधुनिक करण के लक्ष्य को पानी में सभ्यता करता है इस प्रकार नौकरशाही आधुनिक तकनीकी विकास के लिए भी उत्तरदाई है।
इस प्रकार एक सफल देश के लिए वहां के राजनीतिक विकास और राजनीतिक व्यवस्था में नौकरशाह महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं यह व्यवस्था सभी सरकारों के लिए आवश्यक हैं।
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