\ सिन्धु घाटी सभ्यता क्लास लेक्चर्स नोट्स अपडेट 2023 - Deeptiman Academy

सिन्धु घाटी सभ्यता क्लास लेक्चर्स नोट्स अपडेट 2023

सिन्धु घाटी सभ्यता

  • सिन्धु सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक थी। 
  • सिन्धु सभ्यता अपनी समकालीन सभ्यताओं, यूनानी और मिस्त्र की तरह एक पूर्ण उन्नत सभ्यता थी। 
  • सिन्धु सभ्यता लगभग 13 लाख वर्ग किलोमीटर में फैली हुई थी। 
  • सिन्धु सभ्यता को हड़प्पा या हड़प्पा मोहनजोदड़ों सभ्यता भी कहा जाता है। 
  • सिन्धु सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता नाम जॉन मार्शल ने दिया था।

 घाटी सभ्यता की विशेषताएँ 

 

  • नगर नियोजन (Town Planning) 
  • सिन्धु घाटी सभ्यता अपने नगर नियोजन के लिए जानी जाती है। 
  • हड़प्पाकालीन लोगों ने नगरों में घरों के विन्यास के लिए ग्रिड पद्धति अपनायी गई थी। मुख्य सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं। 
  • हड़प्पा सभ्यता की जल निकासी व्यवस्था विशेष प्रकार की थी। 
  • घरों से जल निकासी मोरियों से होती थी, जो मुख्य नालियों में गिरती थी। 
  • हड़प्पा सभ्यता में नगरों में प्रवेश पूर्वी सड़क से होता था, जो प्रमुख  सड़क से मिलती ती, उसे ऑक्सफोर्ड सर्कस कहा जाता था, 
  • ईंटें प्रायः पक्की होती थी, जिनका प्रयोग मकान एवं भवन बनाने के लिए  किया जाता था। 
  • सिन्धु सभ्यता के घर ईंट से बनाये जाते थे। इन ईंटों की लंबाई, चौड़ाई तथा ऊँचाई का अनुपात 4:2:1 था। 
  • परन्तु कुछ हड़प्पाकालीन स्थलों जैसे— कालीबंगा, रंगपुर, आदि में  कच्ची ईंटों का प्रयोग भवन और नालियों के निर्माण में हुआ है। 
  • दो मन्जिल मकान बनाये जाने के प्रमाण भी प्राप्त हुए है। 
  • कालीबंग में घरों में कुओं के प्रमाण भी प्राप्त हुए है। 

राजनीतिक व्यवस्था (Political System) 

  • हड़प्पा सभ्यता काल की राजनीतिक व्यवस्था के बारे अभी तक बहुत अधिक जानकारी नहीं, चूँकि हड़प्पा के लोग व्यापार एलं वाणिज्य में अधिक रूचि रखते थे, अधिक सम्भव है हड़प्पा सभ्यता का शासन वणिक वर्ग के हाथों में हो। 
  • मार्टिन ह्वीलर ने सिन्धु प्रदेश के लोगों के शासन को मध्यवर्गीय जनतान्त्रिक शासन कहा है। 
  • स्टुअर्ट पिगट ने मोहनजोदड़ो के शासन को प्रतिनिधि शासन कहा है। 

सामाजिक व्यवस्था (Social System) 

  • सिन्धु सभ्यता के लोगों की सामाजिक इकाई परिवार थी। संयुक्त परिवार की प्रथा थी। 
  • सिन्धु सभ्यता के लोग अनेक वर्गों में विभाजित थे जैसे— पुरोहित, व्यापारी, अधिकारी, शिल्पकार, जुलाहा और श्रमिक आदि। 
  • स्त्रीमृणमु्र्तियाँ (मिट्टी की मूर्तियाँ) अधिक मिलने से ऐसा अनुमान लगाया  जाता है कि सैंधव समाज मातृसत्तात्मक था। 
  • सिन्धु सभ्यता के लोग शान्तिप्रिय समाज का निर्माण करते थे, युद्ध प्रिय नहीं थे। 
  • सिन्धु सभ्यता के लोग शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार का भोजन करते थे। गेहूँ, जौ, तिल, सरसों, खजूर शाकाहारी पदार्थों के अलावा गाय, सूअर, घड़ियाल, कछुआ आदि के माँस का प्रयोग करते थे। 
  • मनोरंजन के लिए सैंधववासी मछली पकड़ना, शिकार करना, पशु-पक्षियों को आपस में लड़ाना, चौपड़ और पासा खेलना आदि साधनों का प्रयोग करते थे। 
  • सैंधव सभ्यता में पर्दा-प्रथा एवं वेश्यावृत्ति प्रचलन में थी। 
  • मृतकों के अन्तिम संस्कार की तीन विधियाँ प्रचलित थीं। ये हैं— पूर्ण समाधीकरण, आंशिक समाधीकरण तथा दाह संस्कार। 
  • सिन्धुी सभ्यता में दास बनाए जाने का  कोई उल्लेख प्राप्त नहीं होता है।

 आर्थिक जीवन (Economic Life) 

  • सिन्धु सभ्यता के लोगों की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि और पशुपालन थे। 
  • व्यापार एवं  वाणिज्य भी आर्थिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते थे। 
  • हड़प्पा के लोग मुख्य रूप से गेहूँ और जौ फसलों का उत्पादन करते थे। 
  • हड़प्पा सभ्यता के लोग हल द्वारा खेत जोतते थे, जिसके प्रमाण कालीबंगा से प्राप्त होते है। 
  • सिन्धु सभ्यता के लोग कपास उत्पादन करते थे, जिसके प्रमाण सूती कपड़ा बनाते थे जैसा कि विदित है मोहनजोदड़ों से सूती कपड़े के प्रमाण प्राप्त हुए है। 
  • कालीबंगा से एक ही खेत में दो फसलें जौ और चना एक सआथ उगाये जाने के प्रमाण प्राप्त होते है। 
  • लोथल और रंगपुर से चावल की भूंसी के प्रमाण प्राप्त होते है, जिससे प्रतीत होता है, यहाँ चावल का उत्पादन होता था। 
  • हड़प्पा सभ्यता के लोग अपनी आवश्यकता से अधिक खाद्यान् उत्पादन करते थे और अतिरिक्त उत्पाद को अन्नागारों में रखा जाता था। 
  • विश्ला अन्नागार के प्रमाण हड़प्पा मोहनजोदड़ों और कालीबंगा से प्राप्त हुए है। 
  • सिन्धु सभ्यता के लोग बैल, भेड़, बकरी, सूअर आदि पशुओं को पालते थे कूबड़ वाला साँड़ उनका प्रिय पशु था। 
  • व्यापार के सन्दर्भ में मेलुहा, दिलुमन (बहरीन) तथा मगन (माकन) का उल्लेख मिलता है। मेलहा  की पहचान सिन्धु घाटी से होती है। 
  • हड़प्पा एवं सुरकोटवा सिन्धु सभ्यता के प्रमुख बंदरगाह थे। 
  • सैंधवकालीन घोड़ों के अस्तथिपंजर सुरकोटवा, कालीबंगन एवं लोथल से प्राप्त हुए है। 
  • चावल के् प्रथम साक्ष्य लोथल से प्राप्त हुए है। धान की खेती का प्रमाण रंगपुर और लोथल से प्राप्त हुआ है। 
सिन्धु घाटी सभ्यता
  • सिन्धु सभ्यता के लोग प्रायः पत्थरों और काँसे के औजारों का प्रयोग करते थे। 
  • सिन्धु सभ्यता के लोग, ताँबे में टिन मिलाकर काँसा तैयार करने की विधिी अच्छी तरह जानते है। 
  • सिन्धु सभ्यता के लोग चाक का प्रयोग, मिट्टी के बर्तन बनाने और खिलौने को अलंकृत करने व विविध रंगों की पॉलिश करना भी जानते थे। 
  • बर्तन पर लेख लिखना खिलौने बनाना उनकी तकनीकि कुशलता के अच्छे प्रमाण है। 

सिन्धु सभ्यता का धार्मिक जीवन( Religious Life of Indus Civilization) 

  • पुरास्थलों से प्राप्त मिट्टी के बर्तनों एवं मोहरों एवं चित्रित चिन्हों से सिन्धु सभ्यता के धार्मिक जीवन की जानकारी प्राप्त होती है। 
  • हड़प्पा से पक्की मिट्टी की मूर्तियाँ बड़ी संख्या में मिली है, जिससे सिद्ध होता  है इस सभ्यता के लोग मातृ देवी की पूजा करते थे। 
  • मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक मूर्ति से स्त्री के गर्भ से पौधा निकलता दिखाया गया है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि लोग उर्वरा देवी की पूजा करते थे। 
  • पुरष देवता के रूप में रुद्रशिव के साथ लिंग—योनि, वृक्ष, पशु व जल की पूजा की जाती थी। 
  • हड़प्पा सभ्यता के लोग वृक्षों में पीपल, पशुओं में कूबड़वाला बैल तथा पक्षियों में फाख्ता (सफेद कबूतर) की पूजा करते थे या आस्था रखते थे। 
  • सैंधवासी धरती को उर्वरता की देवी मानकर पूजा किया करते थे। 
  • कालीबंगा और लोथल से यज्ञ वेदियाँ (हवन कुण्ड) के प्रमाण प्राप्त होते है। 
  • स्वास्तिक चिह्न हड़प्पा सभ्यता की देन माना जाता है। 
  • घरों के दरवाजे और खिड़कियों सड़क की ओर न खुलकर पीछे की ओर खुलते थे। 
  • मोहनजोदड़ो से पशुपति नाथ (एक शील पर तीन मुख वाले देवता की मूर्ति प्राप्त हुई है। 
  • मोहनजोदड़ो से वृषभ आकृति की मुद्रा भी प्राप्त हुई है जो पश्चातवर्ती समय में जिसने शिव के वाहन के रूप में स्थान प्राप्त कर लिया।

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