एक महात्मा ने राजा के द्वारा दिए गए बुढ़िया के फैसले को गलत साबित किया
एक समय की बात है एक गांव के चार लोग जिनका नाम सेठलाल, मगनलाल, हीरालाल और मेवालाल था इन चारो ने एक दिन पैसा कमाने के लिए आपस में बात कर रहे थे । तभी सेठ लाल के मन में प्रदेश जाकर पैसा कमाने की बात आई और चारो लोगो ने आपस में विचार विमर्श करके प्रदेश जाकर पैसा कमाने की योजना तैयार कर ली।
पांच दिन बाद चारो लोग प्रदेश जाकर अलग अलग काम करना शुरु कर दिया 8 महीने तक इन चारों ने प्रदेश में काम करके काफी अच्छा पैसा कमा लिए , अब ये लोग सोच रहे हैं कि अपने-अपने घर चला जाए काफी दिन हो गया है परदेस आए हुए ।
चारो लोगो ने अपना बुरिया बिस्तर लेकर रेलवे स्टेशन आ जाते है और ट्रेन पकड़कर घर के लिए रवाना हो जाते हैं।
अगली रेलवे स्टेशन पर चारो लोग अपना बैग लेकर पैदल अपने घर के लिए चलते हैं तभी रात होनी लगती है और वो लोग एक बूढ़ी औरत के घर रुकने के लिए सोचते हैं।
जब ये लोग उस बुढ़िया के पास जाकर कहते हैं कि माता जी हम लोगो को घर जाना है लेकिन रात हो गई है अगर आप इजाजत दे तो आज यहीं रुक जावू
उस बूढ़ी औरत ने सोचा कि रोज अकेले रहती हूं एक दिन की बात ही तो है रहने के लिए बोल देती हुं वह बूढ़ी औरत उन चारो को ठहरने के लिए कह देती है।
सेठलाल, मगनलाल, हीरालाल और मेवालाल सभी ने अपने अपने पैसा एक बैग में करके उस बुढ़िया को देकर यह कहते है की माता जी इस पैसे के बैग को आप तभी देना जब हम चारो लोग एक साथ हो बुढ़िया बोली ठीक है आप लोग जब चारो एक साथ रहोगे तभी इस बैग को दूंगी चारो में से कोई एक भी नही रहा तो इस बैग को नही दूंगी।
रात हो जाती है बुढ़िया चारो लोगो के लिए भोजन बनाकर खिलाती है और सभी लोग खाना खाकर सो जाते है।
तभी उनमें से एक सेठलाल के मन में ये बात आती है की इस पूरे पैसा को कैसे लेकर फरार हो जाय वह सोचता है कि दिन में कुछ चालबाजी करेगें।
सभी लोग सुबह उठते हैं तो सेठलाल अपना चालबाजी का दिमाक लगाकर अन्य तीनों लोगो से कहता है की बुढ़िया ने हम लोगो को खाना खिलाया है क्यों न इसके खेत का कुछ काम धाम कर दिया जाय सभी लोग बोले हा सेठलाल ठीक कह रहा है और चारो लोग काम करने के लिए खेत में चले जाते है सेठलाल बोलता है की प्यास लगी है जा रहे है पानी पीएंगे और आप सब के लिए भी पानी बुढ़िया के घर से लेते आएंगे।
बुढ़िया का खेत घर के सामने ही रहता है सेठलाल बुढ़िया से पानी पीकर पैसा का बैग मांगता है और जब बुढ़िया कहती है की चारो लोग रहोगे तब पैसा वाला बैग दूंगी तभी सेठलाल उन तीनो लोगो को इशारा करता है की पानी लाना है तो वो लोग बुढ़िया को देखकर अपने सिर से इशारा दे देते है की दे दीजिए बुढ़िया उस पैसा वाले बैग को सेठलाल को दे देती है बुढ़िया नही समझ पाती है की वो तीनो लोग पानी लाने के लिए इशारा किए थे न की पैसा वाले बैग देने को।
जब वो तीनो को पता चलता है की सेठलाल पैसे वाले बैग को लेकर भाग गया हैं तो इस मामले को राजा के पास ले जाया जाता है राजा इस मामले का दोषी उस बुढ़िया को बना देते है क्योंकि जब बुढ़िया से कहा गया था की जब चारो लोग रहेंगे तभी पैसा वाला बैग देना तो आप ने उस बैग को एकेले एक आदमी को क्यों दिए। राजा उस बुढ़िया को सजा देते है की आप को जितना पैसा दिया गया उतना पैसा लाकर उन लोगो को दीजिए।
बुढ़िया राजा के इस फैसले से काफ़ी अधिक चिंतित हो गईं तभी उसको पता चला कि इसी गांव में एक महात्मा रहते है वो सब की समस्या को हल कर देते हैं।
तब वह बुढ़िया उस महात्मा के पास जाकर अपनी इस घटना को पुरा सच्चाई से बताती है उसके बाद महत्मा ने बुढ़िया से कहा कि राजा आपको गलत फैसला दिए है
बुढ़िया सोचने लगी कि राजा का फैसला तो गलत नही हो सकता है महत्मा ने बुढ़िया से कहा कि जावो अपने राजा से कह देना कि आप हमें गलत फैसला सुना दिए है आपके इस फैसले को एक महत्मा हैं गलत बता रहें हैं और कह रहें है की आप राजा से बोल दीजिए उनके फैसले को गलत साबित कर दुंगा।
राजा ने उस बुढ़िया से कहा ठीक है अगर आपके महत्मा इस फैसले को गलत नही साबित कर पायेंगे तो उन्हे फासी की सजा मिलेगी।
अगले दिन राजा उस महात्मा के पास अपने सैनिकों के साथ जाते हैं साथ में बुढ़िया और मगनलाल, हीरालाल और मेवालाल भी रहते हैं ।
महात्मा ने बहुत सहजता से बोले की पैसा वाला बैग बुढ़िया तभी देगी जब चारो लोग एक साथ होंगे अभी तो तीन ही लोग है इसलिए बुढ़िया पैसा नही दे सकती है जब तक सेठलाल हाजिर नही हो सकते है
महात्मा के इस बात को सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुए और बुढ़िया को पैसा वाला बैग देने से बचा दिए।
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